अमेरिकी नागरिकों से करते थे ठगी

अंतर्राष्ट्रीय ठगी के कॉल सेन्टर का पर्दाफाश, क्राईम ब्रांच ने 21 आरोपियों को किया गिरफ्तार

इन्दौर. वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन मे क्रॉईम ब्रांच की टीम ने अंतर्राष्ट्रीय ठगी कर रहे कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया. क्राईम ब्रांच ने 21 कॉलर्स और क्लोसर को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास अमेरिका के नागरिकों का डॉटा बेस मौजूद है. फर्जी अमेरिकी नाम बताकर झासे में लेते थे और अमेरिका की विजलेंस एजेंसी के नाम से धमकाते थे. अमेरिका के नम्बरों से कॉल करने के लिए इंटरनेट कॉलिंग का उपयोग करते थे.

क्राइम ब्रांच को जरिये मुखबिर सूचना प्राप्त हुई थी कि महाराष्ट्र-गुजरात मे पूर्व से काल सेंटर काम करने वाले युवक-युवतियां बाहर से आकर लसूडिया निपानीया क्षेत्र मे अवैध कॉल सेंटर चला रहे है. काल सेंटर से अमेरिका के नागरिकों को कॉल करके उनसे, उनके यूनिक सोशल सिक्योरिटी नम्बरों का अवैध गतिविधियों का भय बताकर उन्हें डराकर उनके बेंक एकाउंट से डालर को गिफ्ट कार्ड के माध्यम से राशि वसूली जा रही थी. सूचना पर से क्राइम ब्रांच टीम ने निपानिया स्थित फ्लेट न 301 ओके बिल्डिंग स्कीम नं. 94 मेंदबिश दी.

यहां पर काम करते मैनेजर जोशी फ्रांसिस व आईटी हेड जयराज पटेल सहित अन्य कालर 16 लडक़े व 3 लड़कियां पाई गई. इनके द्वारा अवैध रूप से अंतर्राष्ट्रीय कॉल सेन्टर द्वारा अमेरिकी नागरिकों का डाटा अवैध रूप से आहरीत कर ठगी की जा रही थी. मौके से क्राइम ब्रांच की टीम को 20 सीपीयू, सर्वर व अन्य गेजेट्स मिले जिन्हें मौके से विधि पूर्वक क्राइम टेक्नीकल सेल की सहायता से जप्त किया गया. क्राइम ब्रांच द्वारा की गयी इस कार्रवाई से थाना अपराध शाखा में आईटीएक्ट के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है. कुल 21 आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया गया है.

विजिलेंस एजेंसी के नाम से धमकाते थे

अंतर्राष्ट्रीय ठगी के कॉल सेन्टर का क्राईम ब्रांच इंदौर ने किया पर्दाफाश. इंदौर से अंतरराष्ट्रीय कॉल पर अमेरिका के नागरिकों के सोशल सिक्यूरिटी नंबर पर अवैधानिक गतिविधियॉ जैसे ड्रग्स ट्रेफेकिंग, मनी लोंड्रिंग के नाम से डराकर अमेरिकी डालर में ठगी करते थे. पिछले एक वर्ष से कॉल सेंटर को चलाया जा रहा है. क्राईम ब्रांच ने 21 कॉलर्स एवं क्लोसर को पकड़ा है. इनमें 3 युवतियां भी शामिल हैं. अधिकांश युवक-युवतियां गुजरात के अहमदाबाद, बड़ोदा के रहने वाले हैं. कुछ कॉलर इंदौर और मुंबई के भी है. ठग कर डॉलर्स में कमाई रहे थे. अमेरिका की विजलेंस एजेंसी के नाम से धमकाते थे.

पैसों के लिए गिफ्ट कार्ड का उपयोग

अमेरिका के नम्बरों से कॉल करने के लिए इंटरनेट कॉलिंग का उपयोग करते थे. ठगों के पास अमेरिका के नागरिकों का डॉटा बेस मौजूद है. फर्जी अमेरिकी नाम बताकर झासे में लिया जाता था. ठगी का पैसा लेने के लिए गिफ्ट कार्ड का उपयोग करते थे. 40 प्रतिशत काट कर हवाला से शेष 60 प्रतिशत हिस्सा ठगो को प्राप्त होता था.

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